अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की कृषि भूमि को अन्य व्यक्तियों के कब्जे से मुक्त कराने की प्रक्रिया राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 183बी और 183सी के तहत अपनाई जाती है, जिसमें अवैध अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध शीघ्र बेदखली और दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। सरकार ने ऐसे अतिक्रमणों को हटाने के लिए परिपत्र जारी किए हैं, जिनमें इन मामलों को निर्धारित समय-सीमा के भीतर निपटाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
कानूनी प्रावधान
राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 183बी और 183सी: ये धाराएँ एससी/एसटी भूमि पर अन्य जातियों द्वारा किए गए अवैध अतिक्रमणों को हटाने की प्रक्रिया निर्धारित करती हैं। इसमें सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद शीघ्र बेदखली और दंडात्मक कार्रवाई शामिल है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989: यह अधिनियम एससी/एसटी समुदायों के विरुद्ध भेदभाव को रोकने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया था।
सरकारी दिशानिर्देश और परिपत्र
अवैध अतिक्रमणों की बेदखली: राज्य सरकार ने वर्ष 2000 और 2007 में परिपत्र जारी किए थे, जिनमें ऐसे मामलों के लिए विस्तृत दिशानिर्देश दिए गए थे और सख्त अनुपालन का निर्देश दिया गया था।
प्राथमिकता और समय-सीमा: इन परिपत्रों में अनुसूचित जाति/जनजाति की भूमि पर अवैध अतिक्रमणों का प्राथमिकता के आधार पर एक निश्चित समय-सीमा के भीतर निपटान करने का निर्देश दिया गया है।
प्रक्रिया
अवैध कब्ज़ा और शिकायत: जब अनुसूचित जाति/जनजाति की भूमि पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ा किया जाता है, तो शिकायत दर्ज की जाती है।
सुनवाई: संबंधित अधिकारी को शिकायत की जाँच करनी होती है और अवैध कब्ज़ा करने वाले को सुनवाई का अवसर दिया जाता है।
बेदखली और दंडात्मक कार्रवाई: सुनवाई के बाद, यदि कब्ज़ा अवैध पाया जाता है, तो कलेक्टर या संबंधित प्राधिकारी तत्काल बेदखली और दंडात्मक कार्रवाई का आदेश देता है।
मुख्य बिंदु
इन प्रावधानों का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों के भूमि अधिकारों की रक्षा करना और शोषण को रोकना है।
राजस्व विभाग नियमित रूप से राजस्व मंडल, अजमेर को इन मामलों की प्रगति और स्थिति के बारे में सूचित करता है।
6) विभाग - राजस्व - राजस्थान सरकार
पृष्ठ 1 * तेरहवीं विधान सभा के प्रथम सत्र में महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण में यह घोषणा की गई थी कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों की कृषि भूमि को अन्य व्यक्तियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जाएगी...
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13 जून 2024 - अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों के विरुद्ध भेदभाव को प्रतिबंधित करने और उनके विरुद्ध अत्याचारों को रोकने के लिए संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है।
क्रम सँख्या | विषय | प्रकार | पत्र संख्या | डाउनलोड़ करें |
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4 | अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्तियों की भूमि पर अन्य जाति के व्यक्तियों द्वारा किये गये अवैध कब्जों के प्रकरणों का निर्धारित समयावधि में निस्तारण के संबंध में। | परिपत्र | 11/1/2012 | फाइल खोलें |
3 | अनुसूचित जनजाति की कृषि भूमि को अन्य व्यक्तियों के कब्जे से मुक्त कराने के संबंध में। | परिपत्र | 23-04-2009 | फाइल खोलें |
2 | अनुसूचित जाति/जनजाति की खातेदारी भूमि से तिचारी को बेदखल करने हेतु धारा 183-बी के तहत कार्यवाही हेतु तहसीलदार की शाक्तियां पंचायत समिति को प्रदान की गई | अधिसूचना | 17-04-2002 | फाइल खोलें |
1 | Clarification as to whether Section 42 (b) debars a person who is not a resident of Rajasthan but is a member of Scheduled Castes/ Scheduled Tribes in a State other than Rajasthan from acquiring land belonging to a member of Scheduled Castes/Scheduled tribes in Rajasthan. | परिपत्र | 11/2/2009 | फाइल खोलें |
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